वो शाम कुछ अजीब थी - Song Hindi lyrics and Download
यह गाना पुराने सदाबहार गाने मूवी का है। यह गाना फ़िल्म- ख़ामोशी, गीत- गुलज़ार, संगीत- हेमन्त कुमार, गायक- किशोर कुमार । ने गाया है
वो शाम कुछ अजीब थी Hindi Lyrics
(वो शाम कुछ अजीब थी
ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास पास थी
वो आज भी क़रीब है) (२)
वो शाम कुछ अजीब थी
झुकी हुई निगाह में कहीं मेरा ख़्याल था
दबी दबी हँसी में इक हसीन सा गुलाल था
(मैं सोचता था मेरा नाम गुनगुना रही है वो) (२)
ना जाने क्यूँ लगा मुझे के मुस्करा रही है वो
वो शाम कुछ अजीब थी
मेरा ख़्याल है अभी झुकी हुई निगाह में
खिली हुई हँसी भी है दबी हुई सी चाह में
(मैं जानता हूँ मेरा नाम गुनगुना रही है वो) (२)
यही ख़्याल है मुझे के साथ आ रही है वो
वो शाम कुछ अजीब थी
ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास पास थी
वो आज भी क़रीब है
वो शाम कुछ अजीब थी
More Song's hindi lyrics from Old evergreen songs

प्यार हुआ इकरार हुआ

सौ साल पहले

चंदन सा बदन

हमें तुमसे प्यार कितना

हुई शाम उनका ख़्याल आ गया

मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया

लागी छूटे ना अब तो सनम

किसी पत्थर की मूरत से

जम डम डिगा डिगा

मिलती है ज़िन्दगी में मोहब्बत कभी कभी

ओ साथी रे तेरे बिना भी क्या जीना

आज फिर तुम पे प्यार आया है

तूने ओ रंगीले कैसा जादू किया

तेरी आँखों के सिबा

किसी राह में किसी मोड़ पर

तू प्यार का सागर है

कोई नहीं है फिर भी है मुझको

अकेले अकेले कहाँ जा रहे हो

मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा

बेक़रार करके हमें यूँ ना जाइये

याद ना जाये बीते दिनों की

अजी रूठ कर अब कहाँ जाइयेगा

छूकर मेरे मन को

तू जहाँ जहाँँ चलेगा

रुला के गया सपना मेरा

सुहानी रात ढल चुकी

लग जा गले

तेरी गलियों में ना रखेंगे क़दम

छोड़ दे सारी दुनिया

होंठों से छूलो तुम

ओह रे ताल मिले

अब तो है तुमसे हर ख़ुशी अपनी

दिल चीज़ क्या है

आज उनसे पहली मुलाक़ात होगी

कोई होता जिसको अपना हम अपना

खोया खोया चाँद खुला आसमान

तुम्हीं मेरे मंदिर

उनसे मिली नज़र के मेरे होश

हज़ार राहें मुड़ के देखीं


हर दिल जो प्यार करेगा

तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे

ज़िन्दगी का सफ़र है सुहाना

तुम बिन जाऊँ कहाँ

मैं पल दो पल का शायर हूँ

पर्दे में रहने दो

मेरी भीगी भीगी सी पलकों पे

दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा

रंगीला रे तेरे रंग में

दिल तडफ तडफ के कह रहा

हमें और जीने की चाहत

ज़िन्दगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र

आ लौट के आजा मेरे मीत

तेरी महफ़िल में क़िस्मत आज़मा कर

छू लेने दो नाज़ुक होंठों को

किसी की मुस्कराहटो पे

तेरे चेहरे में वो जादू है

पल पल दिल के पास

महबूब मेरे महबूब मेरे

आजा रे अब मेरा दिल

रहें ना रहें हम

कहीं दूर जब दिन ढल जाये

आप के पहलू में आ कर

चौदहवीं का चाँद हो

ज़िन्दगी के सफ़र में

लिखें जो ख़त तुझे

फूल तुम्हें भेजा है ख़त में

मेरे दिल में आज क्या है

बेदर्दी बालमा तुझको

एहसान तेरा होगा मुझ पर

तौबा ये मतवाली चाल

कहता है जोकर सारा ज़माना

एक प्यार का नगमा है

जिस गली में तेरा घर

गुलाबी आँखें जो तेरी

लम्बी जुदाई

तेरी बिन्दिया रे

सावन का महीना

लूटे कोई मन का नगर

ओ बाबुल प्यारे

तेरे बिना जिन्दगी से

जो बादा किया वो निभाना पडेगा

आजा तेरी याद आई

वादा करले साजना

जो तुमको हो पसन्द

रुत है मिलन की साथी मेरे

मन क्यूँ बहका री बहका

बिन्दिया चमकेगी

जाने क्यों लोग मोहब्बत

मिलो ना तुम तो हम घबरायें

छुप गये सारे नजारे

अब के सजन

तेरा मेरा साथ रहे

कहाँ से आये बदरा

दिल में तुझे बिठाके

सोलह बरस की

मेरी साँसों तो जो महका

मै तुम में समा जाऊँ

आपकी आँखों में कुछ

पत्थर के सनम

ओ मेरे दिल के चैन

दिल के झरोखे में

चाँद सी महबूबा हो मेरी

ये शाम मस्तानी

प्यार दिवाना होता है

आने से उसके आये बहार

तुम अगर साथ देने का वादा

गुनगुना रहें है भँवरे

कोरा कागज था ये मन मेरा

रुके रुके से कदम

रैना बीती जाये

चिनगारी कोई भड़के

ये जो मोहब्बत है

निगाहें मिलाने को

शरमा के अगर यूँ परदानशीं

इशारों इशारो में

मिलते ही नजर तुम से

तू कितनी अच्छी है

बड़ा नटखट है ये

रुक जा रात ठहर जा रे चन्दा

अँखियों को रहने दे

दिल तो है दिल